आयुबंध

जघन्य स्थिति – बंध (अंतर्मुहुर्त) संख्यात वर्ष वाले तिर्यंच/मनुष्यों में होती है ।

तत्वार्थसूत्र टीका – 507

देव/नारकियों के इसीलिये नहीं क्योंकि यह अंतर्मुहुर्त क्षुद्र-भव की अपेक्षा लिया है ।

पं. रतनलाल बैनाड़ा जी

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