आस्था
चौबीस वर्षीय ऋषभ जैन अमेरिका में इंजीनियरिंग में Master Degree कर रहा है, छुट्टियों में भारत आया हुआ है ।
कुछ समस्याओं का हल ना मिलने पर माँ, उसकी इच्छा के विरूद्ध एक ज्योतिषी के पास ले गई, लौट कर ऋषभ बहुत दुखी हुआ ।
उसका कहना था – जिसे आचार्य श्री विद्यासागर जी जैसे गुरू पर विश्वास हो उसे किसी और के पास जाने की क्या जरूरत ?
उसने अपनी माँ को आचार्य श्री के पास भी भेजा ताकि वह प्रायश्चित ले सके ।
माँ ने जब आचार्य श्री को जब यह घटना सुनाई, तो आचार्य श्री काफी देर तक हंसते रहे और माँ लगातार रोती रही ।
आचार्य श्री ने कहा – प्रायश्चित तो तुम्हारा रोने से हो गया, भविष्य में यह दोहराना नहीं ।
3 Responses
Jai gurudev…….
Nice post…
So much to learn from it.
Its really true,
Acharya shri jaise guru k hote huye kisi jyotishi ki kya jarurat……..