उत्तम तप धर्म
इच्छा निरोधः तपः
तप…
1) क्या ?.. विषयों का निरोध । आ.श्री ..अपेक्षा निरोधः तपः ।
2) क्यों ?..आध्यात्मिक उपलब्धियों के लिए, भौतिक gains के लिए नहीं ।
3) कैसा ?..बाह्य – उपवास, भूख से कम खाना, रस त्याग आदि
अंतरंग – प्रायश्चित, विनय,स्वाध्याय, ध्यान आदि ।
4) कब ?..हर समय; जब जागो तभी सवेरा ।
तपस्वी बनो ताकि मनस्वी और तेजस्वी बन सको ।
मुनि श्री प्रमाण सागर जी
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उपरोक्त कथन सत्य है कि इच्छा निरोध का मतलब तप है। इसके लिए चार बिंदु बताएं गये है कि तप क्या है, इसके लिए विषयों का निरोध होना तप है।तप क्यो यह आध्यात्मिक उपलब्धियों के लिए होता है,न की भोतिक प्राप्त करने के लिए होता है।तप कैसा होना चाहिए इसमें उपवास,भूख से कम खाना और रस त्याग आदि होना चाहिए। इसमें अंतरंग में प्रायश्चित,विनय,स्वाध्याय,ध्यान आदि होते हैं।तप कब होना इसके लिए हर समय और जब जागो तब सबेरा। अतः तपस्वी बनो ताकि मनस्वी और तेजस्वी बन सकते हो।