उत्तम मार्दव

  • मान का ना होना मार्दव धर्म है ।
  • क्षमा पहला धर्म, एक Message छोड़ गया – ‘क्ष’ से क्षय करें, ‘मा’ से मान को ।
  • Ego – ‘E’ से ईश्वर, Go से चला जाना ।
  • क्रोध तो थोड़ी देर को आता है, पर अहंकार बहुत समय तक टिका रहता है ।
    क्रोध प्राय: व्यक्ति से होता है, मान समस्त/समुदाय के साथ होता है ।
  • कोई रूठ जाये तो उसे मनाते हैं – ‘मान जाना’
    आकर बताते हैं – ‘मान जायेगा’
    उसके मान जाने के बाद कहते हैं – ‘मान गया’ ।
  • मानी अगले जन्म में हाथी बनता है,
    उसकी सूंड़ बहुत लंबी पर जमीन पर घिसटती रहती है, वह सब काम नाक से ही करता है ।
  • मान का हनन प्रेम से होता है ।
  • मान ‘मूंछ’  और ‘पूंछ के चक्कर में ही होता है ।
    पति मूंछ के चक्कर में तथा पत्नि पूंछ (उसकी घर में पूछ ना होना ) के चक्कर में मान करते हैं ।
  • हमको अस्तित्व बनाये रखना है विनम्रता से,
    अस्तित्व खत्म करना है मान को समाप्त करके ।

मुनि श्री सौरभसागर जी

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