आदमी की कमाई में परिवारजनों/ सेवकों का भाग्य भी होता है।
कमाने वाला व अन्य सब अपने-अपने भाग्य के अनुसार खाते/ पहनते/ भोगते हैं।
(सुरेश)
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कर्ता एवं भाग्य का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए पुरुषार्थ करना परम आवश्यक है ताकि दूसरों के भाग्य पर निर्भर नहीं रहें।
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कर्ता एवं भाग्य का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए पुरुषार्थ करना परम आवश्यक है ताकि दूसरों के भाग्य पर निर्भर नहीं रहें।