कर्माश्रव

आत्मा से बंधने कर्म बाहर से नहीं आते ।

जितने क्षेत्र में आत्मा स्थित है उसी क्षेत्र में अनंत वर्गणायें हैं, वे कर्मरूप परिवर्तित होकर आत्मा से बंध जाती हैं ।

पं. जवाहर लाल जी

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