निमित्तों और नोकर्मों से बचने पर, कर्मों का प्रभाव कम हो जाता है।
आचार्य श्री विद्यासागर जी
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कर्म का तात्पर्य मन वचन काय के द्वारा प़तिक्षण कुछ न कुछ होना क़िया या कर्म है। उपरोक्त कथन सत्य है कि निमित्तों और नोकर्म से बचने पर, कर्मों का प्रभाव कम हो सकता है। अतः कर्मों की निर्जरा करना परम आवश्यक है ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।
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कर्म का तात्पर्य मन वचन काय के द्वारा प़तिक्षण कुछ न कुछ होना क़िया या कर्म है। उपरोक्त कथन सत्य है कि निमित्तों और नोकर्म से बचने पर, कर्मों का प्रभाव कम हो सकता है। अतः कर्मों की निर्जरा करना परम आवश्यक है ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।