कल्याण

जब तक (अपनी कमज़ोरियों के लिये) दूसरों को दोष देते रहोगे – उनके कल्याण और अपने अकल्याण की सम्भावनायें बढ़ती रहेंगी ।

चिंतन

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One Response

  1. यह कथन बिलकुल सत्य है। आजकल इन्सान अपनी बुराईयों को न देखकर दूसरों की बुराइयाँ करने वाला हो गया है, वे अपना कल्याण कभी नहीं कर सकते हैं। अतः उचित होगा कि अपनी बुराईयों को छोडने का प्रयास करें तो आपका कल्याण होगा और तभी दूसरों का कल्याण कर सकेंगे। यही धमॅ का मूल मंत्र है।

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