जीवन को सुचारु रूप से चलाने/ सफ़ल बनाने…
1. क्रम से कार्य करना ।
2. ऐसे कार्य करना जिससे आगे का क्रम बन जाये ।
संसार भ्रमण का कार्यक्रम हमने खुद बनाया है,
खुद भोग रहे हैं,
खुद ही देख रहे हैं ।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
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One Response
उक्त कथन सत्य है कि जीवन को सुचारू रूप से चलाने और सफल बनाने के लिए क़म से कार्य करना और ऐसे कार्य करना जिससे आगे का क़म बन जाये। संसार भ़मण का कार्यक्रम हमने खुद बनाया है और उसको भोग भी रहे हैं एवं खुद देख भी रहे हैं। अतः बिना कार्यक्रम से जीवन कभी नहीं चल सकता है इसलिए हर कार्य के लिए कार्यक्रम बनना अत्यंत आवश्यक है,तभी जीवन की वास्तविकता रहेगी।
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उक्त कथन सत्य है कि जीवन को सुचारू रूप से चलाने और सफल बनाने के लिए क़म से कार्य करना और ऐसे कार्य करना जिससे आगे का क़म बन जाये। संसार भ़मण का कार्यक्रम हमने खुद बनाया है और उसको भोग भी रहे हैं एवं खुद देख भी रहे हैं। अतः बिना कार्यक्रम से जीवन कभी नहीं चल सकता है इसलिए हर कार्य के लिए कार्यक्रम बनना अत्यंत आवश्यक है,तभी जीवन की वास्तविकता रहेगी।