कालों (4थे काल से मोक्ष जाते हैं, अगले पल से मोक्ष जाना बंद हो जाता है । पर इसका कारण जीव व उसके कर्म होते हैं) का विभाजन काल-द्रव्य नहीं करता है ।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
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काल द़व्य का मतलब जो सभी द़व्यों के परिणमन में सहभागी होते हैं।यह दोनों प़कार के होते हैं, निश्चय काल एवं व्यवहारिक काल। अतः मुनि महाराज जी ने उदाहरण दिया है वह पूर्ण सत्य है।
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काल द़व्य का मतलब जो सभी द़व्यों के परिणमन में सहभागी होते हैं।यह दोनों प़कार के होते हैं, निश्चय काल एवं व्यवहारिक काल। अतः मुनि महाराज जी ने उदाहरण दिया है वह पूर्ण सत्य है।