काल तो एक समय का वर्तमान काल होता है, यह निश्चय काल है। व्यवहार तीनों कालों में बांटता है। भूत/ भविष्य तो Collection of काल है।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी (तत्त्वार्थ सूत्र कक्षा – 5/32)
मुनि श्री प़णम्यसागर महाराज जी ने काल का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है।
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मुनि श्री प़णम्यसागर महाराज जी ने काल का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है।