कृतज्ञ्नी
सूअर नीचे गिरे फल ही नहीं खाता उस पेड़ की जड़ भी खा जाता है और ऊपर सिर उठाकर देखता भी नहीं है, गर्दन ही ऐसी है कि कृतज्ञता करने वाले की ओर देख भी नहीं सकता।
(इसीलिए उसके नाम को ही गाली मानते हैं)
मुनि श्री प्रमाणसागर जी
सूअर नीचे गिरे फल ही नहीं खाता उस पेड़ की जड़ भी खा जाता है और ऊपर सिर उठाकर देखता भी नहीं है, गर्दन ही ऐसी है कि कृतज्ञता करने वाले की ओर देख भी नहीं सकता।
(इसीलिए उसके नाम को ही गाली मानते हैं)
मुनि श्री प्रमाणसागर जी
One Response
कृतज्ञना का तात्पर्य उपकार मानना होता है।
अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि जो जीव का उपकार करते हैं, उसके प्रति जीव कृतज्ञता नहीं मानता है,वह अपने जीवन को कभी सफल नहीं बना सकता है। अतः जीवन में कृतज्ञता का भाव रखना परम आवश्यक है ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।