क्रिया / भाव
पूजादि करते समय प्राय: हमारा उपयोग गलत जगह चला जाता है जैसे दूसरे ने क्रिया गलत कर दी(चावल की जगह बादाम चढ़ा दिये), उपयोग पूजा/ भगवान से हट कर निर्माल्य पर चला गया। जिसे हम छूते भी नहीं हैं उसे मन से खूब छू रहे हैं, पवित्र भगवान को छोड़ कर !
इसलिए ये क्रियाएं कारगर नहीं हो पा रही हैं।
ब्र.डॉ.नीलेश भैया
One Response
ब़ डाॅ नीलेश भैया जी ने क़िया एवं भाव को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए क़ियायो एवं भाव में शुद्धता होना परम आवश्यक है।