क्षमापर्व

  • खम्मामि सव्वजीवाणां, सव्वे जीवा खमन्तु मे।
    मैं पहले सब जीवों को क्षमा करता हूँ और अपेक्षा रखता हूँ कि सब जीव मुझे भी क्षमा करें।
  • जैसे अपने अपराध के लिये दूसरों से क्षमा चाहते हैं,
    क्या दूसरे से अपराध होने पर ऐसी ही क्षमा हम अपने भीतर भी धारण नहीं कर सकते ?

मुनि श्री क्षमासागर जी

Share this on...

One Response

  1. मुनि श्री क्षमासागर महाराज का कथन सत्य है कि पहले हम जीवों को क्षमा करता हूं, और अपेक्षा करता हूं कि सभी जीव मुझे भी क्षमा करें। जैसे अपने अपराध के लिए क्षमा मांगता हूं,उसी प्रकार दूसरों के अपराध क्षमा करने की शक्ति धारण करना चाहिए ताकि सभी दस धर्मों का वास्तविक सार्थक लाभ मिलता रहे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This question is for testing whether you are a human visitor and to prevent automated spam submissions. *Captcha loading...

Archives

Archives
Recent Comments

September 10, 2022

February 2025
M T W T F S S
 12
3456789
10111213141516
17181920212223
2425262728