क्षमावाणी

  • पर्युषण पर्व के 10 दिनों में जो विशुद्धता आयी, उससे क्षमा के भाव बनते हैं।
  • सही तरीका तो यह है कि जिनसे पिछ्ले दिनों में बैर हुआ है, उनसे बुजुर्ग लोग मन मुटाव को दूर करायें या हम स्वयं अपने मन मुटाव को दूर करें ।
  • श्री रफी अहमद किदवई (केन्द्रिय मंत्री) की अपने मित्र से नाराजगी हो गयी, मित्र ने अपने लड़की की शादी में उन्हें नहीं बुलाया पर वे अपने परिवार सहित उपहार लेकर पहुँच गये और मन मुटाव सौहार्द में बदल गया ।
  • क्रोध कम समय के लिये होता है,
    बैर लंबे समय के लिये होता है ।
    गुरुजन कहते हैं कि बैर क्रोध का अचार है ।
  • जो कर्म पूरब किये खोटे, सहे क्यों नहीं जीयरा ।
    आचार्य श्री विद्यासागर जी नित्य प्रवचन में कहते हैं जो मेरा अपकार कर रहा है वह (आत्मा) तो दिख नहीं रहा है,
    जो दिख रहा है (शरीर) वह अपकार कर नहीं सकता ।
    तो मैं बुरा किसका मानूं ?
  • धर्म की अनुभूति के लिये सबसे पहले बैर आदि दूर करने होंगे ।

पं. रतनलाल बैनाड़ा जी – पाठ्शाला (पारस चैनल)

  • क्षमा भाव मन में रमें,
    सत्य सरलता साथ,
    शुभ मंगलमय जीवन में,
    प्रभु भक्ति के भाव ।

माँ ( श्रीमति मालती जी)

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