उत्तम ब्रह्मचर्य/ क्षमावाणी
संयम फूल है, ब्रह्मचर्य फल।
आजकल ब्रह्मचारी तो भ्रम है, आदर्श देखना है ब्रह्मचारी नीलेश भैया को देखें।
क्षमा मांगनी है तो अपनी वासना से मांगो, जहाँ पाप पनप रहे हैं।
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डूबो मत, लगाओ डुबकी…आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज।
डूबना परवश, उभरना नहीं। डुबकी स्ववश, उभरना भी।
ब्रह्मा सृजन कर्ता, मैं भी सृजन कर्ता।
ब्रह्म भाव…गृहस्थों का…आत्मीय व्यवहार,
साधुओं का भगवत् व्यवहार, यह ब्रह्मचर्य है/ सुखानुभव है।
मुनि श्री मंगलानंद सागर जी
ब्र.डाॅ नीलेश भैया
4 Responses
क्षमावाणी जैन धर्म का मूल मंत्र है, जो जीवन की हर समस्या का हल हो सकता है। अतः जीवन में एक दूसरे के प़ति कटुता बैर, गंठान होती है वह क्षमा मांगने से सभी का जीवन मंलमय हो जाता है। आज रत्नत्रय पूजा में सम्यक्चारित्र की पूजा होती है, इसके बाद ही पूर्व में की गलतियों पर एक दूसरे से क्षमा मांगना अनिवार्य है।
1) ‘मैं भी सृजन कर्ता’ ka kya meaning hai, please ?
2) ‘आत्मीय व्यवहार’ ka kya aashay hai, please ?
3) ‘भगवत् व्यवहार’ ka kya meaning hai, please ?
1) वैदिक परंपरा में ब्रह्मा संसार का सृजन कर्ता हैं।
जैन दर्शन में हर जीव अपना सृजन कर्ता है।
2) वात्सल्य व्यवहार/ मैत्री भाव।
3) जैसा भगवान व्यवहार करते हैं/ वीतराग सम्बन्ध।
Okay.