1 से 12 गुणस्थान तक । क्षयोपशम सम्यग्दर्शन के सद्भाव में, क्षयोपशम सम्यग्दर्शन की अपेक्षा – 4 से 7 गुणस्थान में । तीसरे गुणस्थान में भी, सम्यक्-मिथ्यात्व के उदय/उदीरणा की अपेक्षा ।
आचार्य श्री विद्यासागर जी/पं .रतनलाल बैनाड़ा जी
उक्त कथन सत्य है।
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उक्त कथन सत्य है।