क्षयोपशम सम्यग्दर्शन की उत्कृष्ट स्थिति 66 सागर से कुछ कम, क्योंकि आखिरी अंतर्मुहुर्त में या तो क्षायिक सम्यग्दर्शन प्राप्त करें अथवा पहले या दूसरे या तीसरे गुणस्थान में जाना होगा ।
पं.रतनलाल बैनाड़ा जी
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4 Responses
सम्यग्दर्शन का तात्पर्य सच्चे देव शास्त्र गुरु के प्रति श्रद्वान होता है। इसमें निश्चय और व्यवहार नय होते हैं,मिथ्यात कर्म के उपशम,क्षय या क्षयोपशम की अपेक्षा से तीन भेद होते हैं। अतः उपरोक्त उदाहरण बिल्कुल सत्य है।
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सम्यग्दर्शन का तात्पर्य सच्चे देव शास्त्र गुरु के प्रति श्रद्वान होता है। इसमें निश्चय और व्यवहार नय होते हैं,मिथ्यात कर्म के उपशम,क्षय या क्षयोपशम की अपेक्षा से तीन भेद होते हैं। अतः उपरोक्त उदाहरण बिल्कुल सत्य है।
Two possibilities mein, kiski sambhavana zyaada hoti hai?
Naturally, गिरने वाले ज्यादा होते हैं ।
ख़ासतौर पर क्षायिक-सम्यग्दर्शन जैसी दुर्लभ की तुलना में ।
Okay.