क्षायिक भाव
चार अनुजीवी (घातिया) कर्म प्रकृतियों के क्षय से 9 लब्धियाँ प्राप्त होती हैं ।
( अंतराय से 1-5 – दान, लाभ, भोग, उपभोग, वीर्य तथा
मोह से 6-7 – क्षायिक सम्यक, क्षायिक चारित्र,
8-केवल ज्ञान, 9-केवल दर्शन ) ।
लेकिन प्रतिजीवी कर्म प्रकृतियों से क्षायिक भाव नहीं,
क्योंकि ये प्रकृतियाँ आत्मा के गुणों का घात ही नहीं करतीं थीं ।