मुनि श्री प़णम्यसागर महाराज जी ने क्षेत्र एवं स्पर्शन का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन में क़ोध को समाप्त करना परम आवश्यक है। Reply
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मुनि श्री प़णम्यसागर महाराज जी ने क्षेत्र एवं स्पर्शन का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन में क़ोध को समाप्त करना परम आवश्यक है।
‘स्पर्शन’, अतीत में जीव के गमन की सीमा kaise hai ? Ise clarify karenge, please ?
पिछले जन्मों में कौन-कौन से क्षेत्रों में गया होगा।
Okay.