गति-बंध के वही कारण होते हैं जो आयु-बंध के ।
इसीलिये आयु-बंध के समय गति भी आयु-बंध वाली ही बंधती है ।
मुनि श्री सुधासागर जी
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बंध—कर्म का आत्मा के साथ एक क्षेत्रावगाह होना कहलाता है अथवा दूध पानी की तरह और आत्मा का परस्पर संश्लेष सबंध होना कहलाता है।
गति बंध के वही कारण होते हैं जो आयु-बंध के होते हैं,इसलिये आयु-बंध के समय गति भी आयु-बंध वाली ही बंधती है।
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बंध—कर्म का आत्मा के साथ एक क्षेत्रावगाह होना कहलाता है अथवा दूध पानी की तरह और आत्मा का परस्पर संश्लेष सबंध होना कहलाता है।
गति बंध के वही कारण होते हैं जो आयु-बंध के होते हैं,इसलिये आयु-बंध के समय गति भी आयु-बंध वाली ही बंधती है।