गुप्ति = जिसके बल से आत्मा का गोपन (रक्षा) होता है।
आगम की भाषा में जिसे गुप्ति कहते हैं, अध्यात्म में ध्यान।
आचार्य श्री विद्यासागर जी
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आचार्य श्री विधासागर महाराज जी का कथन सत्य है कि गुप्ती का मतलब जिसके बल पर आत्मा का गोपन यानी आत्मा का रक्षक कवच है! आगम की भाषा में जिसे ध्यान कहते हैं, अध्यात्म में गुप्ती! गुप्ती का पालन निर्गन्थ मुनि करते हैं, यह मोक्ष मार्ग का रास्ता होता है!
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आचार्य श्री विधासागर महाराज जी का कथन सत्य है कि गुप्ती का मतलब जिसके बल पर आत्मा का गोपन यानी आत्मा का रक्षक कवच है! आगम की भाषा में जिसे ध्यान कहते हैं, अध्यात्म में गुप्ती! गुप्ती का पालन निर्गन्थ मुनि करते हैं, यह मोक्ष मार्ग का रास्ता होता है!