तुलसीदास जी के एक भक्त अपने वैभव आदि का श्रेय गुरु को देते थे।
तुलसीदास जी – ये वैभव आदि तो पापियों के भी होते हैं, गुरु से तो वह प्राप्त करो जो पापी प्राप्त नहीं कर सकते।
सुत दारा औ लक्ष्मी, पापी के भी होय ।
संत समागम हरिभजन, तुलसी दुर्लभ होय ।।
Share this on...
One Response
गुरु कृपा उसको ही मिलती है,जो उन पर श्रद्वान रखते हैं। जीवन में वैभव तो पापियों पर भी होता है, लेकिन गुरुओं पाप नहीं करने की सलाह देते हैं। अतः जीवन में पापी भी गुरुओं की सलाह से पाप से बच सकते हैं। अतः जीवन में गुरु को अपना आदर्श मानना चाहिए ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।
One Response
गुरु कृपा उसको ही मिलती है,जो उन पर श्रद्वान रखते हैं। जीवन में वैभव तो पापियों पर भी होता है, लेकिन गुरुओं पाप नहीं करने की सलाह देते हैं। अतः जीवन में पापी भी गुरुओं की सलाह से पाप से बच सकते हैं। अतः जीवन में गुरु को अपना आदर्श मानना चाहिए ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।