गुरु/भगवान पर इतना विश्वास नहीं जितना गुरु/भगवान के महासत्यव्रत पर ।
मुनि श्री सुधासागर जी
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महाव़त—-हिंसादि पांच पापो का मन ,वचन, काय से जीवन पर्यंत त्याग करना होता है .पांच महाव़त में अहिंसा, सत्य, अचोर्य, ब़म्हचर्य और अपरिग़ह होते हैं।अतः स्पष्ट है कि गुरु/भगवान् के महासत्यव़त पर विश्वास किया जाता है।
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महाव़त—-हिंसादि पांच पापो का मन ,वचन, काय से जीवन पर्यंत त्याग करना होता है .पांच महाव़त में अहिंसा, सत्य, अचोर्य, ब़म्हचर्य और अपरिग़ह होते हैं।अतः स्पष्ट है कि गुरु/भगवान् के महासत्यव़त पर विश्वास किया जाता है।
Can it’s meaning be explained please?