गृहस्थ
गृहस्थ चावल जैसा है, पूजा की सामग्री में पुजारी, घर में खिचड़ी, गरीब को दान करते समय साहूकार/ माँ रूप।
निर्यापक मुनि श्री सुधासागर जी
गृहस्थ चावल जैसा है, पूजा की सामग्री में पुजारी, घर में खिचड़ी, गरीब को दान करते समय साहूकार/ माँ रूप।
निर्यापक मुनि श्री सुधासागर जी
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मुनि श्री सुधासागर महाराज जी ने गृहस्थ को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए गृहस्थ को धर्म से जुडना परम आवश्यक है।