गोबर का कीड़ा

इसे गोबर का कीड़ा कहते हैं, ये कीड़ा सुबह उठकर गोबर की तलाश में निकलता है और दिनभर जहाँ से गोबर मिले उसका गोला बनाता रहता है।😊

शाम होने तक अच्छा ख़ासा गोबर का गोला बना लेता है। फिर इस गोबर के गोले को धक्का मारते हुए अपने बिल तक ले जाता है, बिल पर पहुंचकर उसे अहसास होता है कि गोला तो बड़ा बना लिया लेकिन बिल का छेद तो छोटा है, बहुत कोशिश के बावजूद वो गोला बिल में नहीं जा सकता।
हम सब भी गोबर के कीड़े की तरह ही हो गए हैं। सारी ज़िन्दगी चोरी, मक्कारी, चालाकी, दूसरों को बेबकूफ बनाकर धन जमा करने में लगे रहते हैं, जब आखिरी वक़्त आता है तब पता चलता है के ये सब तो साथ जा ही नहीं सकता !

(डाॅ. पी.एन.जैन)

Share this on...

One Response

  1. उपरोक्त कथन सत्य है कि हम सब भी गोबर के कीड़े की तरह हो गये है क्योंकि सारी जिंदगी चोरी,मक्कारी, चालाकी, दूसरों को बेबकूफ बनाकर धन जमा करने में लगे रहते हैं, लेकिन जब आखरी वक्त आता है,तब ही पता चलता है कि यह सब तो साथ नहीं जा सकता है। अतः जीवन में शुरू से सोचना चाहिए कि जो कुछ भी अर्जित करते हैं वह साथ नहीं जा सकता है ताकि अपने जीवन के कल्याण के मार्ग पर चलना आवश्यक है तभी कल्याण हो सकता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This question is for testing whether you are a human visitor and to prevent automated spam submissions. *Captcha loading...

Archives

Archives
Recent Comments

November 15, 2020

January 2025
M T W T F S S
 12345
6789101112
13141516171819
20212223242526
2728293031