आध्यात्म : जो अधिकृत हों, आत्मा के विषय में ।
सिद्धांत : जो अंत में सिद्धों की ओर ले जायें (पहले संसार घुमाकर) जैसे जीवकांड/कर्मकांड ।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
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ग़़ंथ यानी शास्त्र/ भगवान् की वाणी जो समोशरण में खिरती थी,उस समय गणधरों द्वारा सुनकर उसको महान आचार्यों ने संकलित किया था,जो आगम की वाणी है। अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि अध्यात्म जो अधिकृत हों/ जो आत्मा के विषय में हों, सिद्धांत का मतलब जो सिद्धों की तरफ जाते/ लेजाते हैं, इसके पहले संसार घुमाते हैं, जैसे जीवकांड और कर्मकाण्ड हैं।
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ग़़ंथ यानी शास्त्र/ भगवान् की वाणी जो समोशरण में खिरती थी,उस समय गणधरों द्वारा सुनकर उसको महान आचार्यों ने संकलित किया था,जो आगम की वाणी है। अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि अध्यात्म जो अधिकृत हों/ जो आत्मा के विषय में हों, सिद्धांत का मतलब जो सिद्धों की तरफ जाते/ लेजाते हैं, इसके पहले संसार घुमाते हैं, जैसे जीवकांड और कर्मकाण्ड हैं।