ग्रह-प्रवेश

मंदिर में विधान करके बचे हुये पुष्प/अक्षत तथा गंधोदक घर के कमरों/दीवारों पर छिड़कें, स्वास्तिक बनाकर कलश स्थापित करें ।
ऐसा ही भरत चक्रवर्ती ने चक्र के साथ किया था ।

मुनि श्री समयसागर जी

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