जन्म / मरण
जनसाधारण जन्म से खुश, मरण से डरता है;
साधुजन मृत्यु का महोत्सव मनाते हैं, जन्म से डरते हैं (गर्भ की पीड़ा/बार-बार जन्म से) ।
मुनि श्री सुधासागर जी
जनसाधारण जन्म से खुश, मरण से डरता है;
साधुजन मृत्यु का महोत्सव मनाते हैं, जन्म से डरते हैं (गर्भ की पीड़ा/बार-बार जन्म से) ।
मुनि श्री सुधासागर जी
2 Responses
उपरोक्त कथन बिलकुल सत्य है – – – – –
जन्म मरण की प़तिकृियां हमेशा चलतीं रहतीं हैं लेकिन जन्म के समय पीडा होती है उस समय खुशियां मनाते हैं जबकि मरण के समय दुखी होने लगते हैं यदि धम॓ से जुडने का प्रयास करेंगे तब ही सुखों की अनुभूति रहेगी एवं दुःखों से मुक्ति मिलेगी।
Yahi kaaran hai ki sadhu mukt ho jaate hain aur sansaari praani , “sansaar” mein hi phanse rahte hain.