जीव तत्व सार्थक है तो अजीव को क्यों जानें ?
दूध को जानना सार्थक पर उसे अशुद्ध कौन कर रहा है/उसे कौन छुपाये हुये है, उसे जाने बिना शुद्ध दूध कैसे पाओगे !
प्रज्ञा से जानो, प्रज्ञा से ही छेदो जैसे हीरे को पहचान कर, हीरे से ही कटाई छटाई होती है ।
आ. श्री विद्यासागर जी
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4 Responses
जिसमे चेतना है वह जीव कहते हैं।चेतना रहित को अजीव कहते हैं।जिस वस्तु का भाव होता है वही तत्व कहते हैं।अतः जीव अजीव एक दूसरे के पूरक हैं।जेसे हीरे को पहिचान कर ही उसकी कटाई छटाई होती है।दूध का जानना सार्थक है पर उसका भाव न जानने वाला ही अशुद्व मानता है।अतः जीव अजीव तत्व का भाव जानना जरूरी है।
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जिसमे चेतना है वह जीव कहते हैं।चेतना रहित को अजीव कहते हैं।जिस वस्तु का भाव होता है वही तत्व कहते हैं।अतः जीव अजीव एक दूसरे के पूरक हैं।जेसे हीरे को पहिचान कर ही उसकी कटाई छटाई होती है।दूध का जानना सार्थक है पर उसका भाव न जानने वाला ही अशुद्व मानता है।अतः जीव अजीव तत्व का भाव जानना जरूरी है।
What do we mean by “प्रज्ञा”please?
सुज्ञान/ विवेक पूर्ण ज्ञान/ तत्व ज्ञान
Okay.