पसीने वाले भाग को यदि कवर कर दिया जाये तो उसमें भी (सम्मूर्छन) जीवों की उत्पत्ति होने लगती है ।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
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सम्मूर्छन जीव का मतलब जो स्वयंमेव वातावरण से शरीर के योग्य पुदगल वर्गणायें ग़हण करके जन्म लेता है, इसमें एकइन्द़िय से लेकर पंचइन्द़िय तक जन्म लेते हैं।
जीव का मतलब जानना देखना या जिसमें चेतना होती है।
उत्पाद का मतलब द़व्य का अपनी पूर्व अवस्था को छोड़कर नवीन अवस्था को प्राप्त करना होता है। अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि पसीने वाले स्थान को यदि कवर कर दिया जाये तो उसमें सम्मूर्छन जीवों की उत्पत्ति होने लगती है।
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सम्मूर्छन जीव का मतलब जो स्वयंमेव वातावरण से शरीर के योग्य पुदगल वर्गणायें ग़हण करके जन्म लेता है, इसमें एकइन्द़िय से लेकर पंचइन्द़िय तक जन्म लेते हैं।
जीव का मतलब जानना देखना या जिसमें चेतना होती है।
उत्पाद का मतलब द़व्य का अपनी पूर्व अवस्था को छोड़कर नवीन अवस्था को प्राप्त करना होता है। अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि पसीने वाले स्थान को यदि कवर कर दिया जाये तो उसमें सम्मूर्छन जीवों की उत्पत्ति होने लगती है।