जैन दर्शन का विस्तार
जैन दर्शन का विस्तार इसलिये कम हो पाया क्योंकि इसमें आचरण को प्रमुखता दी है, जबकि अन्य मत वैचारक हैं।
निर्यापक मुनि श्री सुधासागर जी
जैन दर्शन का विस्तार इसलिये कम हो पाया क्योंकि इसमें आचरण को प्रमुखता दी है, जबकि अन्य मत वैचारक हैं।
निर्यापक मुनि श्री सुधासागर जी
4 Responses
मुनि श्री सुधासागर महाराज जी का जैन दर्शन का विस्तार का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन में अधिक विस्तार के लिए आचरण पालन करना चाहिए।
‘वैचारक’ ka kya meaning hai, please ?
आचरण को गौण करके विचारधारा/ सिद्धांतों को प्रमुखता देना ।
Okay.