ज्ञान तो ख़ुद भी पढ़कर ले सकते हो पर अनुभूति तभी जब उनसे ज्ञान लिया हो जिन्होंने उस ज्ञान की अनभूति की हो।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
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2 Responses
मुनि श्री प़णम्यसागर महाराज जी ने ज्ञान एवं अनुभूति को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन में कल्याण के लिए ज्ञान मिलने पर अनुभूति करना परम आवश्यक है।
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मुनि श्री प़णम्यसागर महाराज जी ने ज्ञान एवं अनुभूति को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन में कल्याण के लिए ज्ञान मिलने पर अनुभूति करना परम आवश्यक है।
Beautiful post ! Namostu gurudev !