सिद्धों का स्वरूप तथा रूप दोनों ज्ञानमय होते हैं,
हमारा सिर्फ स्वरूप ज्ञानमय है ।
आचार्य श्री वसुनंदी जी
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4 Responses
स्वभाव का मतलब असाधारण और शाश्वत धर्म ही होता है। जैसे जीव का स्वभाव चेतना या जानना देखना होता है। उपरोक्त कथन सत्य है कि सिद्धों का स्वरुप तथा रुप दोनों ज्ञानमय होते होते हैं लेकिन हमारा स्वरुप ज्ञानमय होता है।
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स्वभाव का मतलब असाधारण और शाश्वत धर्म ही होता है। जैसे जीव का स्वभाव चेतना या जानना देखना होता है। उपरोक्त कथन सत्य है कि सिद्धों का स्वरुप तथा रुप दोनों ज्ञानमय होते होते हैं लेकिन हमारा स्वरुप ज्ञानमय होता है।
“स्वरूप तथा रूप” mein kya difference hai?
स्वरूप = आंतरिक/ अनुजीवी गुण
रूप = बाह्य आकार
Okay.