केवल-ज्ञान त्रिकाली है,
पर्याय को बिना उसके पास जाये जानता है,
ढकी को बिना ढके देखता है।
मति/श्रुत-ज्ञान सिर्फ वर्तमान को जानता है, उसी में सारा रागद्वेष छुपा है।
मुनि श्री सुधासागर जी
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उपरोक्त कथन सत्य है कि केवल ज्ञान त्रिकाली है। अतः अपनी आत्मा की पर्याय जानना आवश्यक है ताकि केवल ज्ञान की तरफ ध्यान जा सकता है। जबकि मति, श्रुत ज्ञान सिर्फ वर्तमान को जानता है,उसी में सारा राग द्वेष छुपा हुआ है।
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उपरोक्त कथन सत्य है कि केवल ज्ञान त्रिकाली है। अतः अपनी आत्मा की पर्याय जानना आवश्यक है ताकि केवल ज्ञान की तरफ ध्यान जा सकता है। जबकि मति, श्रुत ज्ञान सिर्फ वर्तमान को जानता है,उसी में सारा राग द्वेष छुपा हुआ है।