तप धर्म
- तप प्रकाशन के लिये नहीं ,प्रकाशित करने के लिये होना चाहिये, आत्मा को प्रकाशित करने के लिये ।
- मोक्ष साधन वाले नहीं जाते ,साधना वाले ही जाते हैं ।
- बिना तपे धातु शुद्ध नहीं होती तो आत्मा कैसे शुद्ध कैसे हो सकती है ?
मुनि श्री विश्रुतसागर जी
- अचेतन तो सिर्फ बाह्य तप से शुद्ध हो सकता है पर चेतन को शुद्ध करने के लिये चेतनता /श्रद्धा चाहिये ।
चिंतन
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तप धर्म का तात्पर्य इच्छाओं का निरोध करना तथा तप के द्वारा कर्मों की निर्जरा होती है।तप दो प्रकार के होते हैं,ब़ाम्ह एवं अभ्यांतर तप। अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि तप आत्मा को प़काशित करने के लिए होना चाहिए। अतः मोक्ष साधन वाले नहीं बल्कि साधना वाले ही जातें हैं। अतः जिस प्रकार धातुएं बिना तपें शुद्ध नहीं होती है,इसी प्रकार बिना तप किये हुए आत्मा शुद्ध नहीं हो सकती है। अतः अचेतन तो ब़ाम्ह तप से शुद्ध नहीं हो सकता है अतः चेतन को शुद्ध करने के लिए चेतनता पर श्रद्वान होना परम आवश्यक है।