तीर्थंकरों के शरीर पर चिन्ह
“ओम् ह्रीं त्रैलोक्य पावनादित्यवर्ण परमाष्ठोत्तर शत लक्षण नवशत व्यंजनोपेताय एक सहस्त्र अष्टगुण मंडिताय श्री आदिपरमेश्वराय नम:”
भैया,इसमें भगवान के शरीर पर 108 शुभ लक्षण ,900 व्यंजन और 1008 गुण बताए हैं ।
गुण और लक्षण तो समझ में आता है पर 900 व्यंजन क्या होते हैं ?
मंजू
लक्षण – जानी-पहचानी/ clearly marked आकृतियाँ जैसे शेर
व्यंजन – तिल आदि ।
One Response
व्यंजन-निमित्त ज्ञान का मतलब शरीर में स्थित तिल या मसा को देखकर दुःख और सुखादि का ज्ञान होता है। अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि तीर्थंकरों के चिन्ह के कारण उनकी पहिचान होती है, जिसमें लक्षण यानी जानी पहिचानी जो clearly marked होते हैं, जिसमें आकृतियां जैसे शेर,बैल आदि होते हैं, इसके अतिरिक्त व्यंजन जो तिल आदि होते हैं। अतः तीर्थंकरों कौन से हैं, इससे इनकी पहिचान होती हैं।