धार्मिक क्रियाओं से तृप्ति मिलती है ।
भोग विलास से अतृप्ति, पर ये अतृप्ति अज्ञानियों के लिये फिर फिर आकर्षण का कारण बन जाती है ।
चिंतन
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यह कथन बिलकुल सत्य है। आजकल लोग भोग विलास मे अतृप्ति ही मिलती है लेकिन उधर आकष॓ण बढता जाता है। जब कि धम॓ की क़ियायो में तृप्ति मिलती रहती है। अतः धमँ ध्यान से जुडकर रहोगे तो जीवन में तृप्ति मिलती रहेगी।
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यह कथन बिलकुल सत्य है। आजकल लोग भोग विलास मे अतृप्ति ही मिलती है लेकिन उधर आकष॓ण बढता जाता है। जब कि धम॓ की क़ियायो में तृप्ति मिलती रहती है। अतः धमँ ध्यान से जुडकर रहोगे तो जीवन में तृप्ति मिलती रहेगी।