वाहन जितनी तेज़ी से चलेगा, धूल भी उतनी तेज़ी से/ ज्यादा उड़ेगी।
धूल में दिशा-भ्रम भी हो जाता है।
मुनि श्री प्रमाणसागर जी
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4 Responses
मुनि श्री प़माणसागर महाराज जी ने तेजगति का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है । अतः जीवन में गति की सीमा निर्धारित करना चाहिए ताकि जीवन का लक्ष्य मिलने में सार्थक होगा।
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मुनि श्री प़माणसागर महाराज जी ने तेजगति का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है । अतः जीवन में गति की सीमा निर्धारित करना चाहिए ताकि जीवन का लक्ष्य मिलने में सार्थक होगा।
Is post ka symbolic meaning clarify karenge, please?
जीवन में यदि गति बढ़ाओगे तो दोष भी बढ़ेंगे। दोषों के रहते गति गलत दिशा में भी हो सकती है।
Okay.