त्याग धर्म

    • आप आम को खाने से पहले उसे दबा दबा कर ढ़ीला करते हैं, फिर उसके ऊपर से टोपी (डंठल) हटाते हैं, खाने से पहले चैंप निकालते हैं वर्ना फोड़े फुंसी हो जाते हैं।
      त्याग धर्म में दबा दबा कर ढ़ीला करने का मतलब -अंटी ढ़ीली करना,
      डंठल हटाने का मतलब – अपने घर के खजाने पर से ढक्कन खोलना,
      चैंप निकालने का मतलब – उपयोग से पहले त्याग करना,
      त्याग नहीं करोगे तो जीवन दूषित हो जायेगा।

आचार्य श्री विद्यासागर जी

    • यदि आमदनी का 10 प्रतिशत दान करते हैं , तो अपने समय का ,कार का उपयोग भी धर्म के खाते में 10 प्रतिशत जाना चाहिये ।

मुनि श्री सुधासागर जी

  • एक कंजूस सेठ को बावर्ची ने बहुत घी लगी हुयी रोटी दी।
    सेठ नाराज हुआ, इतना घी !
    बावर्ची बोला क्षमा करें, गलती से मेरी रोटी आपके पास आ गयी ।
    उपयोग नहीं करोगे तो चोर उसका दुरुपयोग करेंगे ।
    • हाथी के एक कौर में से एक छोटा सा टुकड़ा गिर जाने से हजारों चीटिंयों का पेट भर जाता है ।
      तो क्यों ना दान करें !

मुनि श्री प्रमाणसागर 

    • कमरे में एक खिड़की खोलो तो थोड़ी सी ताजा हवा आती है, दूसरी खिड़की खुलते ही Cross Ventilation शुरू हो जाता है,
      एक खिड़की से हवा आती है, दूसरे से निकलती रहती है, स्वास्थ के लिये भी लाभदायक होता है ।
      और यदि Exhaust fan लगा दो तो ज्यादा फ़ायदा होता है ।
      इसमें पहली खिड़की आमदनी की, दूसरी खिड़की दान की ।
      आमदनी की खिड़की ज्यादा बड़ी होने पर आने वाली हवा (दौलत) के साथ साथ हानिकारक कीटाणु भी आ जाते हैं ।

चिंतन

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6 Responses

  1. त्याग धर्म सचेतन और अचेतन समस्त परिग़ह की निवृत्ति को कहते हैं। वस्तु को देना त्याग है। संयम जनों के योग्य ज्ञान आदि का दान करना त्याग है। कर्मों को जला जला कर छोड़ना उत्तम त्याग धर्म होता है। अतः मुनि महाराजों ने जो उदाहरण दिये हैं वे पूर्ण सत्य हैं,इसका पालन करना अनिवार्य है ताकि जीवन का कल्याण करने में समर्थ हो सकते हैं।

    1. देसी आम को चूसने से पहले डंठल हटा कर थोड़ा सा रस निकाल दिया जाता है क्योंकि वह नुकसान करता है।
      उस रस को चैंप कहते हैं।

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