दर्शन प्रमाण नहीं, ज्ञान प्रमाण है ।
देखने के लिये गर्दन घुमायी पर वस्तु दिखी नहीं, यह दर्शन हुआ ।
प्रथम दर्शन को ज्ञान/अवग्रह कहते हैं ।
पं. रतनलाल बैनाड़ा जी
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दर्शन-जो मोक्ष मार्ग को दिखावे वह दर्शन है।अवग़ह-इन्दिय और पदार्थ का सबंध होने पर जो पदार्ध का प़थम ग़हण या ज्ञान होता है।अतः दर्शन प़माण नही जब कि ज्ञान प़माण होता है।दर्शन पर श्रद्वान होना आवश्यक है तभी ज्ञान/अवग़ह की ओर पहुचने का मार्ग है।
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दर्शन-जो मोक्ष मार्ग को दिखावे वह दर्शन है।अवग़ह-इन्दिय और पदार्थ का सबंध होने पर जो पदार्ध का प़थम ग़हण या ज्ञान होता है।अतः दर्शन प़माण नही जब कि ज्ञान प़माण होता है।दर्शन पर श्रद्वान होना आवश्यक है तभी ज्ञान/अवग़ह की ओर पहुचने का मार्ग है।