दान/परोपकार
हमारा तो बस वह है जो हम किसी को देते हैं, जैसे दान/परोपकार ।
किसी से छीना हुआ हमारा कैसे हो सकता है ?
गुरू मुनि श्री क्षमासागर जी
हमारा तो बस वह है जो हम किसी को देते हैं, जैसे दान/परोपकार ।
किसी से छीना हुआ हमारा कैसे हो सकता है ?
गुरू मुनि श्री क्षमासागर जी
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