दान
ख़ाली (ग़रीब) को भरोगे तो दिखेगा (फल); संतोष होगा; पुण्य बंध होगा।
उसका तो पापोदय है; तभी तो ख़ाली है। तीव्र पापोदय में उसका भला न भी हो, पर तुम्हारा भला अवश्यंभावी है।
मुनि श्री सुधासागर जी
ख़ाली (ग़रीब) को भरोगे तो दिखेगा (फल); संतोष होगा; पुण्य बंध होगा।
उसका तो पापोदय है; तभी तो ख़ाली है। तीव्र पापोदय में उसका भला न भी हो, पर तुम्हारा भला अवश्यंभावी है।
मुनि श्री सुधासागर जी
One Response
दान का तात्पर्य परोपकार की भावनाओं से अपनी वस्तु का अर्पण करना होता है।यह भी चार प्रकार के होते हैं। अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि जब गरीब को भरोगे तो उसका फल सन्तोष और पुण्य बंध भी होगा। गरीब का पापोदय है,तभी खाली है, उसके पाप के उदय में उसका भला न हो, लेकिन लेने वाले का भला अवश्य होगा। अतः जीवन में दान अवश्य करना ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।