आ. शांतिसागर जी महाराज जब हैदराबाद में प्रवेश किये तो कुछ लोगों ने निज़ाम से उन पर रोक लगाने को कहा ।
तब निज़ाम ने कहा था – “हमारे राज्य में नंगों के विचरण पर रोक है, फ़रिश्तों के विचरण पर नहीं” ।
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उपरोक्त कथन बिलकुल सत्य है – – – –
आ. शान्तीसागर महाराज जब हैदराबाद गये थे उस समय नग्न लोगों के लिए पाबंदी लगी थी उस समय इन्दौर से सेठ हुक्मचन्द जी एवं अन्य गणमान्य लोग गये थे उन्होंने हैदराबाद के निज़ाम को बताया गया था कि नग्न नहीं है यह सब दिगम्बरत्व है जो हर वस्तुओं का त्याग करते हैं वह अपने साथ केवल पिछी एवं कमंडल रखते हैं। उस समय निज़ाम की समझ में आया, तब दिगम्बरत्व को स्वीकार कर लिया था तब ही उनको जाने के लिए अनुमति दी गई थी।
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उपरोक्त कथन बिलकुल सत्य है – – – –
आ. शान्तीसागर महाराज जब हैदराबाद गये थे उस समय नग्न लोगों के लिए पाबंदी लगी थी उस समय इन्दौर से सेठ हुक्मचन्द जी एवं अन्य गणमान्य लोग गये थे उन्होंने हैदराबाद के निज़ाम को बताया गया था कि नग्न नहीं है यह सब दिगम्बरत्व है जो हर वस्तुओं का त्याग करते हैं वह अपने साथ केवल पिछी एवं कमंडल रखते हैं। उस समय निज़ाम की समझ में आया, तब दिगम्बरत्व को स्वीकार कर लिया था तब ही उनको जाने के लिए अनुमति दी गई थी।