ब्रह्मचारी बसंता भैया श्री दीपचंद वर्णी जी से तीर्थयात्रा जाते समय, दिशा निर्देश मांगने गये।
3 रत्न हमेशा पास रखना – क्षमा, विनय, सरलता
तथा
3 को पोटली से बाहर मत आने देना आलस, गालियां तथा कृतघ्नता।
मुनि श्री मंगल सागर जी
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मुनि श्री मंगलसागर महाराज जी ने दिशा निर्देश का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए क्षमा, विनय, सरलता को अपनाना परम आवश्यक है। इसके साथ आलस, गालियाँ एवं कृतज्ञता से बचना परम आवश्यक है।
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मुनि श्री मंगलसागर महाराज जी ने दिशा निर्देश का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए क्षमा, विनय, सरलता को अपनाना परम आवश्यक है। इसके साथ आलस, गालियाँ एवं कृतज्ञता से बचना परम आवश्यक है।