उपसर्ग/accident/बीमारी में, कष्ट तो होता है; मन उसे अस्वीकार भी नहीं कर सकता । पर इनमें मन, दुःख माने या ना भी माने, ये उसकी choice है । Reply
दुःख/कष्ट उनके कर्मों के आधार पर, मिलते हैं ।भगवान, कुछ लेते व देते नहीं हैं, लेकिन आपको दुःखों से बाहर निकलने का रास्ता बताते हैं ।अतः अज्ञानता से, ज्ञान की ओर, बढ़ना चाहिए ।जब आत्मज्ञान होगा, तब दुःख को मन, स्वीकार कर सकता है । Reply
4 Responses
Can its meaning be explained please?
उपसर्ग/accident/बीमारी में, कष्ट तो होता है; मन उसे अस्वीकार भी नहीं कर सकता ।
पर इनमें मन, दुःख माने या ना भी माने, ये उसकी choice है ।
दुःख/कष्ट उनके कर्मों के आधार पर, मिलते हैं ।भगवान, कुछ लेते व देते नहीं हैं, लेकिन आपको दुःखों से बाहर निकलने का रास्ता बताते हैं ।अतः अज्ञानता से, ज्ञान की ओर, बढ़ना चाहिए ।जब आत्मज्ञान होगा, तब दुःख को मन, स्वीकार कर सकता है ।
Okay.