दु:ख
अपने और अपनों के दु:ख क्यों ?
मोह अज्ञान से।
कैसे ?
ख़ुद और सबको शरीर माना, आत्मा को नहीं।
बचने का उपाय ?
वैराग्य व सही ज्ञान।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
अपने और अपनों के दु:ख क्यों ?
मोह अज्ञान से।
कैसे ?
ख़ुद और सबको शरीर माना, आत्मा को नहीं।
बचने का उपाय ?
वैराग्य व सही ज्ञान।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
One Response
दुःख का मतलब पीड़ा रुप आत्मा का परिणाम होता है, दुःख अनेक प्रकार के होते हैं।
अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि अपने और अपनों के दुःख का कारण मोह अज्ञान होता है। अपने शरीर को नहीं मानना बल्कि आत्मा को मानने का प्रयास होना चाहिए, इससे बचने का उपाय वैराग्य या सही ज्ञान होना आवश्यक है। अतः जीवन में कोई दुःख या परेशानियां आती है तो समता भाव से स्वीकार कर लेना चाहिए ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।