देवदर्शन
अरिहंत भगवान भी मूर्ति जैसे अविचल, इसी मुद्रा में, लेकिन परखने की दृष्टि होनी चाहिये, जो संसारी कपड़ों/भोजन आदि को परखने में प्रयोग करते हैं, मूर्ति में मूर्तिमान को खोजने ।
अरिहंत भगवान भी मूर्ति जैसे अविचल, इसी मुद्रा में, लेकिन परखने की दृष्टि होनी चाहिये, जो संसारी कपड़ों/भोजन आदि को परखने में प्रयोग करते हैं, मूर्ति में मूर्तिमान को खोजने ।