धर्म का तात्पर्य सम्यग्दर्शन सम्यक्ज्ञान और सम्यग्चारित्र पर श्रद्धा करना होता है,या जो जीवों को संसार के दुखों से बचाकर मोक्ष सुख देता है। अध्यात्म का मतलब समस्त विकल्पों को छोड़कर अपनी निर्मल आत्मा में आचरण करना होता है।
अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि अध्यात्म सिर है , जबकि धर्म शरीर है।
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धर्म का तात्पर्य सम्यग्दर्शन सम्यक्ज्ञान और सम्यग्चारित्र पर श्रद्धा करना होता है,या जो जीवों को संसार के दुखों से बचाकर मोक्ष सुख देता है। अध्यात्म का मतलब समस्त विकल्पों को छोड़कर अपनी निर्मल आत्मा में आचरण करना होता है।
अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि अध्यात्म सिर है , जबकि धर्म शरीर है।