धर्म की प्रासंगिकता

आज के समय में धर्म की प्रासंगिकता कितनी है ?

दु:ख में धर्म की ज़रूरत ज्यादा होती है/महत्त्व ज्यादा महसूस होता है।
पंचमकाल/कलयुग में दु:ख बढ़ते ही जा रहे हैं, सो धर्म की प्रासंगिकता बढ़ रही है ।

चिंतन

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One Response

  1. धर्म का तात्पर्य जो दुखों को सहने की क्षमता देता है। उपरोक्त कथन सत्य है कि आजकल लोग दुखी रहते हैं, क्योंकि उनको धर्म का स्वरूप अथवा ज्ञान नहीं होता है। जो लोग धर्म का ज्ञान रखते हैं वह कभी दुखों में विचलित नहीं होते हैं।

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